शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

"किताबें"

 "किताबें"


ये किताबें मेरी मां जैसी हैं

जो मुझे बोलना सिखाती हैं

ये मुझे इस दुनिया की तरह 

कभी पराया नहीं करती 

ये हमेशा मुझे अपना बना के

रखती हैं

ये मुझे जीवन की सच्चाइयों से 

रूबरू कराती हैं

जब भी  मैं व्याकुल होता हूँ 

इन किताबों से बातें करता  हूँ 

जब भी मैं इन्हे अपने सीने पे

रखकर इन्हे निहारता हूं

ये मेरी व्याकुलता को दूर कर

मेरी पीठ थपथपाती हैं

और मैं गहरी नींद में सो  जाता हूँ 

ये किताबें मेरी  मां जैसी हैं

जो मुझे हंसना सिखाती हैं

ये मुझे लिखना भी सिखाती हैं

साथ ही साथ ये बातें करना तो सिखाती  ही हैं

लेकिन ये मौन रहना भी सिखाती हैं

ये मुझे कठिन राहों मे चलना और

स्वयं मे व्याप्त बुराईयों से लड़ना सिखाती हैं

ये किताबें मेरी  मां जैसी हैं

जो मुझे जगाती हैं और जगाना 

सिखाती हैं

              👉@संदीप कुशवाहा, सतना  


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