शनिवार, 7 दिसंबर 2019

मुक्तक...

मुक्तक..

दिलो में दर्द उठता है तो नगमा लिख ही जाता है।
न हो गर प्यार वसुधा से तो जालिम बिक ही जाता है।
कोई कितनी भी करले कोशिशे बदनाम करने की।
कभी सच से न हो परदा कि वो तो दिख ही जाता है
@संदीप कुशवाहा

शनिवार, 16 नवंबर 2019

मुक्तक....

मुक्तक.....

किसे आरोप दे दे हम कहां विश्वास कर ले हम।
शियाशी लोग है इनसे भला क्यूं आश कर ले हम।
यहां केवल ये अपनी रोटियां ही सेंकते रहते।
हमे अक्सर मिला धोखा तो क्यों विश्वास कर ले हम।
                                 
                                 👉@संदीप कुशवाहा

उसे रुतबा नही है कुछ मगर फरमा रहा है वो।
हमे मालूम है सब कुछ मगर भरमा रहा है वो।
हमे नीचा दिखाने के प्रयासो मे रहे हरदम।
मगर जब हो विफलता तो बहुत सरमा रहा है वो।

                                  👉@संदीप कुशवाहा